किसान आंदोलन में शहीद हुए शुभकरण सिंह का हत्यारा कौन?
किसान आंदोलन में शुभकरण सिंह की मौत हो गई है। किसानों ने दिल्ली जाने की कोशिश की, पर मोदी सरकार ने रोक दिया। हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले का प्रयोग किया। किसानों का कहना है कि ये अत्याचार है और वह अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों का दावा है कि शुभकरण की मौत रबर बुलेट से हुई है। एमएसपी की मांग कर किसानों को खालिस्तानी बताया जा रहा है, जिससे उनकी छवि खराब हो रही है। किसानों पर अत्याचार की कई घटनाएं भी सामने आई हैं, जिसमें 52 किसान जख्मी हुए हैं और शंभू बॉर्डर पर 6 किसान घायल हो गए हैं।
एमएसपी की मांग को लेकर किसान पंजाब और हरियाण के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे है बता दें कि किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने वाले थे. पंरतु मोदी सरकार ने किसानों को दिल्ली में आने से रोक दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आठ दिनों से शंभू और दातासिंह वाला बॉर्डर पर डेरा डाले, किसानों ने बुधवार सुबह दिल्ली कूच करने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में हरियाणा पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और रबड़ की गोलियां भी चलाईं। दातासिंह वाला बॉर्डर पर दो किसान गोली लगने से गंभीर घायल हो गए, पुलिस की गोली में बठिंडा के गांव बल्लोंके के युवा शुभकरण सिंह जिसकी उम्र 23 साल बताई जा रही थी. उसकी मौत हो गई। किसानों का दावा है कि शुभकरण की मौत सिर पर रबर बुलेट लगने से हुई है। दूसरे किसान संगरूर के नवांगांव के प्रीतपाल सिंह को भी गंभीर चोट आई है। उसे रोहतक पीजीआई में भर्ती किया गया है। अब सवाल ये बनता कि अगर किसान अपने हक के लिए आवाज बुलंद कर रहा है तो मोदी सरकार किसानों पर अत्यचार क्यों कर रही है। ऐसा अत्यचार जिसमें किसानों को अपनी जान तक गवांनी पड़ रही है।
किसानों पर अत्यचारों की बौछार
पुलिस के साथ झड़प में 52 किसान जख्मी है शंभू बॉर्डर पर भी छह किसान घायल हुए हैं। किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले, वाटर कैनन और लाठीचार्ज का प्रयोग किया। पुलिस की मोर्चेबंदी की बीच युवा किसानों ने शाम पांच बजे तक कई बार बैरिकेडिंग को हटाने की कोशिश की. लेकिन आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार के कारण उन्हें अपने कदम पीछे हटने पड़े। हरियाणा की तरफ से ड्रोन के जरिये आंसू गैस के गोले दागे गए। इससे किसान नेता की तबीयत भी बिगड़ गई। मोदी सरकार ने उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे हालात बना दिए हैं और अंतरराज्यीय सरहद को अंतरराष्ट्रीय सरहद में तब्दील कर दिया है।
लोकतंत्र खत्म कर तानाशाही करना चाहती है मोदी सरकार
किसानों ने कहा, कि वह अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाने पर अड़े थे. उन्हें रोकने के लिए गोलियां व आंसू गैस के गोले दागे जा रहे है| यह लोकतंत्र की हत्या करने के बराबर है। कई जगहों पर इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है. इंटरनेट बैन होने से लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हरियाणा से सटे मोहाली, पटियाला, संगरूर, बरनाला, मानसा, बठिंडा व मुक्तसर साहिब के सरकारी अस्पतालों में घायल किसानों के इलाज की पूरी व्यवस्था है जबकि बैकअप सहायता के तौर पर फतेहगढ़ साहिब व लुधियाना के अस्पतालों में एंबुलेंसों को भी तैयार रखा गया है। मतलब संभव है कि इस आंदोलन में कई दर्जनों किसान और भी घायल हो सकते है।
मोदी सरकार ने किसानों की छवि बनाई खालिस्तानी
राकेश टिकैत ने कहा, कि किसान भारत के नागरिक हैं, जिनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए। लोकतंत्र में सभी को अपनी बात शांतिपूर्ण तरीके से रखने का हक है। उन्होंने कहा कि 14 मार्च को किसान ट्रैक्टरों के साथ एक दिन के लिए दिल्ली जाएंगे, बता दें कि मोदी सरकार आंदोलन करने वाले किसानों को खालिस्तानी बुला रही है. ऐसा हर बार हुआ है जब भी कोई आंदोलन करता है सरकार उनको बदनाम करके देश विरोधी नाम से जोड़ देती है।
- JYOTI KUMARI
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