जनता के मुद्दों से भटकाने का खेल है जारी, खुद बीजेपी ने की थी विरासत कर लाने की तैयारी
विवाद यह है कि भारतीय राजनीति में हिस्सेदारी न्याय और इनहेरिटेंस टैक्स जैसे मुद्दे गहरे रूप से उभरे हुए हैं। इसे राजनीतिक दलों ने चुनावी मुद्दा बनाकर जनता को भटकाने का प्रयास किया है। भारतीय राजनीति में हिंदू-मुस्लिम बाँटवारे को बढ़ावा देकर सोशल जस्टिस के नाम पर वोट खींचने की कोशिशें देखने को मिल रही हैं। जयंत सिन्हा और अरुण जेटली जैसे वरिष्ठ नेताओं ने इनहेरिटेंस टैक्स को समर्थन दिया था, लेकिन वर्तमान में यह मुद्दा राजनीतिक घमासान का शिकार हो गया है। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा के खिलाफ हथकंडे बढ़ाने का माध्यम बनाया है। इस संदर्भ में, राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दे ने विपक्षी दल को एक संकेत दिया है कि वे सोशल जस्टिस के नाम पर चुनाव लड़ेंगे और भाजपा के खिलाफ जनता को मोबाइल मेसेज के जरिए जागरूक करेंगे।
हिस्सेदारी न्याय से घबराई बीजेपी के पास अब मुद्दों से भटकाने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी हर रैली में बार-बार लोगों से कह रहे हैं कि आपकी संपत्ति बांट दी जाएगी. अगर आपके पास दो घर होंगे तो एक ले कर खास समुदाय को दे दिया जाएगा. आपका मंगलसूत्र छीन कर एक खास समुदाय को बांट दिया जाएगा. मा-बाप से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगा दिया जाएगा.
सभी जानते हैं कि हिस्सेदारी न्याय के मुद्दे से जनता को भटकाने के लिए अब नए अंदाज़ में हिंदू-मुसलमान किया जा रहा है. जब-जबसामाजिक न्याय की आवाज़ बुलंद होती है, आरएसएस-बीजेपी के सामने मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं. अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई को कम करने के लिए कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग,दलित और आदिवासियों के हितों को चुनावी मुद्दा बनाया है. इसके बाद बीजेपी ने विरासत कर का मुद्दा लेकर मतदाताओं को डराने की कोशिशें तेज़ कर दी है.
दिलचस्प बात ये है कि खुद बीजेपी के सांसद और पूर्व वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने 2017 में इनहेरिटेंस टैक्स लगाने की जम कर हिमायत की थी. उन्होंने कहा था कि “ हमें एस्टेट टैक्स की जरूरत है, ताकि जो फायदा पहले ही खानदानी कारोबारी उठा रहे हैं, उसका कम से कम 50-55 फीसदी फायदा आगे ले जा सकें. यह खेल के मैदान को सबके लिए बराबर करने और नई संभावनाएं पैदा करने से जुड़ा मामला है. मैंने अमेरिका में काफी समय बिताया है और वहां के साथ बाकी जगहों पर टैक्स है. मैं आपको बता सकता हूं कि एस्टेट टैक्स 55 फीसदी है.
यही नहीं, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इनहेरिटेंस टैक्स के पक्ष में थे. 26 दिसंबर,2018 को उन्होंने इस बाबत ट्वीट कर अपनी राय भी रखी थी. तब देश की मीडिया में कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी सरकार 2019 के बजट प्रावधानों में इनहेरिटेंस टैक्स को शामिल करने जा रही है. इसे नोटबंदी के बाद का चरण माना जा रहा था.
प्रधानमंत्री मोदी ये जानते हैैं कि वो झूठ बोल रहे हैं. लेकिन उन्हें ये बात अच्छी तरह मालूम है कि जिस पद पर बैठ कर वो झूठ बोल रहे हैं, उस पद की गरिमा की वजह से लोग उसे सच मान लेंगे. मोदी के झूठ को फैलाने में गोदी मीडिया औऱ बीजेपी आईटी सेल कोई कसर नहीं छोड़ेगा. और जब तक जनता को सच का पता चलेगा तब तक उनका झूठ व्हॉट्स अप मैसेज के सहारे गांव-गांव तक फैल चुका होगा.
ये विवाद तब तेज हो गया जब इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने एएनआई से बातचीत में उत्तराधिकार कर की वकालत की. जिसके बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के बयान जारी कर कहा कि ये सैम पित्रोदा के निजी विचार हैं. कांग्रेस का उस इस्टेट ड्यूटी को वापिस लाने का कोई इरादा नहीं है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में खत्म कर दिया है. साथ ही उन्होंने ये जयंत सिन्हा की विरासत कर की हिमायत का भी जिक्र किया.
गोदी मीडिया का आलम ये है कि जयंत सिन्हा की विरासत कर की हिमायत की खबरों को राष्ट्रीय मीडिया नेे कतई तवज्जो नहीं दी. ये बात पीएम मोदी जानते हैं. मोदी जानबूझ कर झूठ इसलिए बोलते हैं ताकि उसका खंडन होने से पहले उनके झूठ का ज़बरदस्त प्रचार कर दिया जाए.
वहीं राहुल गांधी ने और भी साफ अंदाज़ में कहा कि देश के अमीरों की 16 लाख करोड़ की कर्जमाफी का एक छोटा सा हिस्सा वो देश के गरीबों को देने के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि राहुल ने ये भी कहा कि पीएम मोदी ने 25 लोगों को अरबपति बनाया, हम करोड़ों लोगों को लखपति बनाएंगे.
इस मुद्दे के बहाने कांग्रेस को ये बताने का मौका मिला है कि अगर अमीरों के लिए 16 लाख करोड़ की कर्जमाफी ना होती तो-
- सोलह करोड़ युवाओं को सालाना एक- लाख रुपए की नौकरी मिल जाती
-16 करोड़ महिलाओं को 1 लाख रू साल देकर उनके परिवारों की जिंदगी बदली जा सकती थी
- 10 करोड़ किसान परिवारों का कर्ज़ माफ कर अनगिनत आत्महत्याएं रोकी जा सकती थी
- पूरे देश को 20 वर्षों तक मात्र 400 रू में गैस सिलेंडर दिया जा सकता था
- 3 साल तक भारतीय सेना का पूरा खर्च उठाया जा सकता था
- दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के हर युवा की ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई मुफ्त की जा सकती थी
राहुल गांधी का कहना है कि जो पैसा ‘हिंदुस्तानियों’ के दर्द की दवा बन सकता था, उसे ‘अडानियों' की हवा बनाने में खर्च कर दिया गया. साथ ही राहुल गांधी ने बीजेपी के कुप्रचार के जवाब में नारा दिया है कि हम अडानियों की नहीं हिंदुस्तानियों की सरकार बनाएंगे.
पहले चरण में कम मतदान और कांग्रेस का अपने मुद्दों पर टिके रहने की वजह से पीएम मोदी अंदर से भयभीत नज़र आ रहे हैं. साथ ही देश भर में मतदाता भी मोदी सरकार के खिलाफ मुखर होने लगे हैं. वहीं खाताबंदी के बावजूद कांग्रेस का पांच न्याय, 25 गारंटियों वाला न्यायपत्र जनता के हाथों तक पहुंच रहा हैै. जाहिर है कि मोदी को हाथ से सत्ता फिसलती साफ नज़र आ रही है. ऐसे में चुनाव के अगले चरणों मेंं झूठ-फरेब समेत कई तरह के हथकंडों का इस्तेमाल बढ़ने का अंदेशा है.
What's Your Reaction?