राहुल गांधी ने दी किसानों को एमएसपी पर कानूनी गांरटी
राहुल गांधी ने देश के किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने का ऐलान किया है, उन्होंने कहा, किसानों को उनका हक मिलना चाहिए। आपको बता दूं कि किसानों के हक को सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। मोदी सरकार ने किसानों से वादा किया था कि वो किसानों को एमएसपी पर गारंटी देगी पर 2024 आ गया है और अभी तक सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया है। इस वादे को फिर से याद दिलाने के लिए किसान आंदोलन कर रहे है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने समेत अन्य मांगों को लेकर पंजाब, हरियाणा, यूपी से किसान दिल्ली कूच करने के लिए आ रहे है। वहीं किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए उनके ऊपर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे है. दिल्ली पुलिस ने कई जगहों पर बैरिकेड लगाने के अलावा कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटेनर की दीवारें खड़ी की है. दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस और सेना की तैनाती की गई है। वहीं एक तरफ मोदी सरकार किसानों को लेकर बड़ी- बड़ी बातें करती है कि किसानों की आय दुगुनी हुई है, तो वहीं दूसरी तरफ किसानों पर अत्याचार कर रही है. किसान अपने हक के लिए लड़ रहे है तो उनपर जुल्म किए जा रहे है। इस आंदोलन में किसानों को कांग्रेस पार्टी का पूरा समर्थन मिल रहा है। 2021 के किसान आंदोलन को वापस लेने के बाद एमएसपी पर गांरटी देने की घोषणा की थी। पर 2024 आ चुका है और यह गांरटी केंद्र सरकार ने अभी तक पूरी नहीं की है।
कांग्रेस ने दी किसानों को एमएसपी की गांरटी
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के लिए छत्तीसगढ़ पहुंचे राहुल गांधी ने किसानों को अपना समर्थन दिया है, उन्होंने कहा, "देश के किसानों को जो उनका हक मिलना चाहिए, वो उन्हें नहीं मिल रहा है, किसानों को उनकी मेहनत का फल मिलना चाहिए. इसमें बुरा क्या है! उन्होंने कहा, 'किसान भाइयों आज ऐतिहासिक दिन है! कांग्रेस ने हर किसान को फसल पर स्वामीनाथन कमीशन के मुताबिक एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का निर्णय लिया है. यह कदम 15 करोड़ किसान परिवारों की समृद्धि सुनिश्चित कर उनका जीवन बदल देगा. न्याय के पथ पर यह कांग्रेस की पहली गारंटी है।'
जानिए क्या थी स्वामीनाथन सिफारिश?
स्वामीनाथन आयोग का गठन नवंबर 2004 में किया गया था। हरित क्रांति के जनक और महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन इसके अध्यक्ष थे। एमएस स्वामीनाथन ने किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और खेती में पैदावार बढ़ाने को लेकर कई सिफारिशें दी थीं। इस कमेटी ने साल 2006 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इनमें एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी सिफारिश की गई थी।
क्या है एमएसपी जानें
किसान आंदोलन को समझने के लिए हमे पहले एमएसपी को समझने होगा| तो चलिए जानते है सरल शब्दों में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी किसानों को दी जाने वाले एक गारंटी होती है, इसके तहत तय किया जाता है कि बाजार में किसानों की फसल किस दाम पर बिकेगी। दरअसल फसल की बुआई के दौरान ही फसलों की कीमत तय कर दी जाती है और यह तय कीमत से कम में बाजारों में नहीं बिकती है। एमएसपी तय होने के बाद बाजार में फसलों की कीमत गिरने के बाद भी सरकार किसानों को तय कीमत पर ही फसलें खरीदती है। एमएसपी का उद्देश्य फसल की कीमत में उतार-चढ़ाव के बीच किसानों को नुकसान से बचाना है।
सिर्फ इन फसलों पर लागू है एमएसपी
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ, रबी सीजन समेत अन्य सीजन की फसलों के साथ ही कमर्शियल फसलों पर एमएसपी लागू करता है। किसानों से खरीदी जाने वाली अभी सिर्फ 23 फसलों पर एमएसपी लागू की गई है। इन 23 फसलों में से 7 अनाज ज्वार, बाजरा, धान, मक्का, गेहूं, जौ और रागी होती हैं। 5 दालें, मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर है।
क्यों फिर खेतों को छोड़ सड़को पर है किसान
मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को खुश करने के लिए किसानों के नेता कहें जाने वाले चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया. लेकिन उनका ये प्लान फेल हो गया. क्योंकि किसान यूनियन ने मोदी सरकार के खिलाफ एक बार फिर आंदोलन छेड़ दिया है. नवंबर 2021 में किसानों ने आंदोलन खत्म किया था, लेकिन दो साल बाद वह फिर सड़कों नज़र आ रहे हैं। किसानों की मांगे है कि दो साल पहले सरकार ने न सिर्फ कानूनों को रद्द कर दिया, बल्कि एमएसपी पर गारंटी देने का वादा किया. इसके बाद किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया था. लेकिन अब किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी को लेकर अपने वादे अभी तक पूरे नहीं किए है।
मोदी सराकर में यह आंदोलन पहली बार नहीं है जब किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. दो साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने आंदोलन किया था तब मोदी सरकार को किसानों की मांगों के आगे झुकना पड़ा था. और संसद से पारित तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करने का निर्णय लेना पड़ा था.
बता दें कि किसानों का डर था कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त कर सकते हैं और खेती-किसानी कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों में सौंप जा सकते हैं. कृषि कानूनों को लेकर किसानों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी. किसान करीब एक साल तक अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन पर अड़े रहे. किसानों को दावा है कि इस आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई।
क्या है देश के किसानों की सरकार से मांग
संयुक्त किसान मोर्चा ने 2021 के किसान आंदोलन की तरह ही इस बार भी अपनी कई मांगों को लेकर 13 फरवरी 2024 को दिल्ली चलो के नारे लगाते हुए घरो से बड़ी संख्या में निकल पड़े है. बताया जा रहा है कि किसानों ने 16 फरवरी को भारत बंद का ऐलान किया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर कानून बनाने की लगातार मांग कर रहे है। केंद्र सरकार से किसानों ने उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही थी। वो वादा अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
- JYOTI KUMARI
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