सस्ता राशन महंगा शासन
आज भारत में तकरीबन 80 करोड़ लोग मुफ्त के राशन पर निर्भर है, उनको लगता है कि मोदी सरकार उनको सस्ता राशन मुहैया करवा रही है, पर वो सच्चाई से बिल्कुल वाकिफ नहीं है, क्योंकि सरकार तो जुमलों की है, सस्ता राशन देकर उन्हीं गरीबों की जेब से सबसे ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है, कैसे जानें, पिछले कुछ महीनों की कई चीजों की महंगाई आपको याद होगी। जैसे- टमाटर का 250 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाना, पेट्रोल का सौ के पार चला जाना, एलपीजी सिलेंडर 11सौ के पार हो जाना। कुछ ही महीने पहले अदरक, लहसुन की महंगाई ने भी अपना भीषण रूप दिखाया था, जब इनकी कीमतें 400 रुपए प्रति किलो के करीब पहुंच गई थीं, मोदी सरकार में विदेशी कर्ज भी बढ़ा है, हर साल औसतन 25 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज भारत पर बढ़ा है, मोदी सरकार से पहले देश पर करीब 409 अरब डॉलर का विदेशी विदेशी कर्ज था, जो अब बढ़कर डेढ़ गुना यानी करीब 613 अरब डॉलर पहुंच गया है। देश में स्कूल भी कम हो गए हैं, मोदी सरकार के आने से पहले देश में 15.18 लाख स्कूल थे, जो अब घटकर 14.89 लाख हो गए हैं, और तो और केंद्र सरकार ने शिक्षा बजट में भी कटौती कर दी है। सस्ता राशन देकर देश की जनता को ऐसे महंगा शासन चलाया जा रहा है।
गृहणी की रसोई पर 10 सालों में पड़ा इतना भार
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तो आग लग गई है, 10 साल में पेट्रोल की कीमत 24 रुपये और डीजल की कीमत 34 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ी है, पेट्रोल-डीजल के अलावा गैस सिलेंडर की कीमत भी तेजी से बढ़ी है, मोदी सरकार से पहले सब्सिडी वाला सिलेंडर 414 रुपये में मिलता था, अब सिलेंडर पर नाममात्र की सब्सिडी मिलती है, अभी रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 11सौ रुपये तक पहुंच गई है, इतना ही नहीं, 10 साल में एक किलो आटे की कीमत 52%, एक किलो चावल की कीमत 43%, एक लीटर दूध की कीमत 56% और एक किलो नमक की कीमत 53% तक बढ़ गई है। 2022 में दूध की कीमत प्रति लीटर 66 रुपये पर थी, वही, 2023 में दूध प्रति लीटर 12.5 फीसदी महंगा होकर 70 रुपये प्रति लीटर की दर पर पहुंच गया है।
बहुत हुई महंगाई की मार सबसे बड़े झूठ में शुमार
बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार...' 'हम मोदीजी को लाने वाले हैं, अच्छे दिन आने वाले हैं...' 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार यह नारा देकर सत्ता में आई, पर हकीकत तो कुछ और निकली, उल्टा 2014 से और ज्यादा महंगाई जनता को झेलनी पड़ी, यह नारा मोदी सरकार की तरह बेवफा निकला, जनता को एक उम्मीद दिखी, उम्मीद कि मोदी सरकार आने के बाद वाकई उनके 'अच्छे दिन' आ जाएंगे, जनता ने उम्मीद लगाना ही छोड़ दिया, मोदी सरकार को देश की सत्ता में काबिज हुए आज 10 साल पूरे हो रहे हैं, इन 10 सालों में आम आदमी की सालाना आय में नहीं हुई बढ़ोतरी, महंगाई भी बढ़ी है, पेट्रोल-डीजल से लेकर आटा-चावल तक की कीमत काफी बढ़ गई है, मोदी सरकार के इन दस सालों में कितने 'अच्छे दिन' आए, आप ऊपर की चीजें देखकर ही अंदाजा लगा सकते है।
मोदी सरकार में बेरोजगारी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
मोदी सरकार में बेरोजगारी दर में लगातार इजाफा हुआ है, बेरोजगारी के आंकड़े साझा करने वाली निजी संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, मोदी सरकार में अभी देश में करीब 41 करोड़ लोगों के पास रोजगार है, वहीं, मोदी सरकार के आने से पहले 43 करोड़ लोगों के पास रोजगार था, मतलब तकरीबन 2 करोड़ लोगों का रोजगार मोदी सरकार में छीन लिया गया है। पिछले साल एक रिपोर्ट जारी की थी, इसमें दावा किया गया था कि भारत में अभी 90 करोड़ लोग नौकरी के लिए योग्य हैं, इनमें से 45 करोड़ लोगों ने नौकरी नहीं मिलने पर थककर नौकरी की तलाश करना ही छोड़ दिया, यहां तक कि, 2019 के चुनाव के बाद सरकार के ही एक सर्वे में सामने आया था कि देश में बेरोजगारी दर 6.1% है, यह आंकड़ा 45 साल में सबसे ज्यादा था, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मोदी सरकार के आने से पहले देश में बेरोजगारी दर 3.4% थी, जो इस समय बढ़कर 8.1% दुगनी हो गई है। सस्ता राशन के चक्कर में लोगों से अब मोदी सरकार ने रोजगार भी छीनना शुरु कर दिया है।
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